इतिहास प्रश्न
1. बिजोलिया की तरह बेगूं क्षेत्र में भी किसान आंदोलन काफी प्रभावी रहा था। यहां के गोविन्दपुरा गांव में हुए गोलीकांड में दो किसान शहीद हुए थे। यह गोली कांड किस वर्ष हुआ था?
- 1925
- ✓ 1923
- 1935
- 1913
महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से पहले शुरु हुए बेगूं बिजौलियां के किसान आंदोलन ने इतिहास में महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है। देश की आजादी के लिए बेगूं के किसानों ने कोड़ों की मार झेली, जेल गए। रूपाजी करपाजी भी कई यातनाएं सहते हुए शहीद हो गए, लेकिन गुलामी स्वीकार नहीं की।
2. पिंगल भाषा पर जिस क्षेत्र का असर पड़ा था, वह है-
- मालवा
- सिंध
- ✓ ब्रज
- गुजरात
3. करौली ज़िले के हिण्डोन क़स्बे में लाल पत्थर की राज्य की सबसे बड़ी मंडी है। जहां के कारीगर लाल पत्थर की मूर्तियाँ भी खूब बनाते हैं। तो यहां का यह हस्त शिल्प भी कम नहीं है।
6. स्थानीय भाषा राजस्थान की इस महत्वपूर्ण वन उपज को ‘टिमरू’ कहते हैं।
7. कमला व इलाइची नाम की महिला चित्रकार किस शैली से जुड़ी थी ?
- मखमल
- जूतियाँ
- कांच की चूड़ियाँ
- ✓ लाख की चूड़ियाँ
- अजमेर
- सवाईमाधोपुर
- ✓ जयपुर
- भीलवाड़ा
- बालोतरा
- सारेगबास
- भिनाय
- ✓ भीलूड़ा
राजस्थान भर में अपनी तरह की अनूठी एवं दूर-दूर तक मशहूर पत्थरमार होली आदिवासी बहुल वागड़ के भीलूड़ा गांव में खेली जाती है जिसमें लोग रंग-गुलाल और अबीर की बजाय एक-दूसरे पर पत्थरों की जमकर बारिश कर होली मनाते हैं। इस गांव की युगों पुरानी परम्परा के अनुसार धुलेड़ी पर्व के दिन शाम को इसका रोमांचक नज़ारा रह-रह कर साहस और शौर्य का दिग्दर्शन कराता है।
6. स्थानीय भाषा राजस्थान की इस महत्वपूर्ण वन उपज को ‘टिमरू’ कहते हैं।
- बांस
- खैर
- ✓ तेंदू
- महुआ
तेंदू पत्ते से बीड़ी तैयार की जाती है। वागड़ की आबोहवा तेंदू पत्तों के उत्पादन के लिए अनुकूल है।
- ✓ नाथद्वारा
- मेवाड़
- मारवाड़
- जयपुर
- रामस्नेही
- नाथ
- दादू
- ✓ चरणदासी
संत चरणदास के परम शिष्यों रामरूप जी ,जोगजीत जी, सरस मादुरी शरण , सहजोबाई और दयाबाई ने अपनी रचनाओ मे बार बार गुरुदेव जी का यश गया है | उन्होने गुरुदेव को लोहे को सोना बना देने वाला परस और बेकार वृक्षों को अपनी सुगंधी से सुगन्धित कर देने वाला चन्दन कहा है | सतगुरु के प्रेम मे मगन सहजोबाई ने सतगुरु को हरी से भी ऊँचा दर्जा दिया है |
9. यह भी ‘बणी-ठणी’ के लिए प्रसिद्ध चित्रकार निहालचन्द की प्रसिद्ध कृति रही है।
10. इन्हें बागड़ की मीरां कहा जाता है।
11. राज्य की सबसे छोटी बकरी की नस्ल है।
14. सोनामुखी के बेहतर विपणन के लिए विशिष्ट मंडी कहां स्थापित की गई है
15. झीलवाड़ा की नाल या पगल्या से कौनसे दो ज़िले जुड़ते हैं ?
- चोर पंचाशिका
- रागमाला
- ✓ राधा-कृष्ण
- गुलिस्तां
किशनगढ़ चित्रशैली का प्रसिद्ध चित्रकार ‘निहालचन्द था, जिसने प्रसिद्ध ‘बनी-ठणी’ चित्र चित्रित किया।
Bani Thani is an Indian painting in the Kishangarh school of paintings. It has been labeled as India's "Mona Lisa". Bani Thani Is Made By Artist Nihal Chandra. The painting's subject, Bani Thani, was a singer and poet in Kishangarh in the time of king Savant Singh (1748–1764).
Bani Thani is an Indian painting in the Kishangarh school of paintings. It has been labeled as India's "Mona Lisa". Bani Thani Is Made By Artist Nihal Chandra. The painting's subject, Bani Thani, was a singer and poet in Kishangarh in the time of king Savant Singh (1748–1764).
- काली बाई
- कृष्णा कुमारी
- देऊ
- ✓ गवरी बाई
संवत् 1815 में राम नवमी के दिन एक नागर ब्राह्मण परिवार में इस कन्या का जन्म हुआ। साधारण परिवार में जन्मी इस कन्या का नाम गवरी बाई था जिसे आज इतिहास में ‘‘वागड़ की मीरा’’ के नाम से जाना जाता है।
- जमनापारी
- परबतसरी
- ✓ बारबरी
- जखराना
- ✓ नुरूद्दीन
- सुरजन
- साहिबदीन
- रघुनाथ
- मार्बल
- लिग्नाइट
- तांबा
- ✓ सीसा-जस्ता
अलौह धातु सीसा, जस्ता एवं ताबां के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से देश में राजस्थान का प्रथम स्थान है तथा लौह खनिज टंगस्टन आदि के उत्पादन मूल्य में प्रदेश का चौथा स्थान बन गया है।
- बाड़मेर
- सोजत
- ✓ जोधपुर
- जालोर
फलौदी, जि. जोधपुर में। सोनामुखी का पौधा मूलतः अरब देशों से भारत में आया है। इसको हिन्दी में सनाय, राजस्थानी में सोनामुखी कहते हैं। भारत में अधिकतर इसकी खेती तमिलनाडू में की जाती है। भारत का सोनामुखी की खेती में विश्व में प्रथम स्थान है। भारत से प्रति वर्ष तीस करोड़ रुपये से अधिक की सोनामुखी की पत्तियों का निर्यात किया जाता है। सोनामुखी की पत्तियों का उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी तथा एलोपैथिक दवाइयों के निर्माण में किया जाता है। यह फ़सल हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम भागों में आसानी से उगाई जा सकती है। पूर्णतया बंजर भूमि में उपजाए जा सकने वाले इस औषधीय पौधे के लिए न तो ज़्यादा पानी की आवश्यकता होती है तथा न ही खाद की और न ही किसी विशेष सुरक्षा अथवा देखभल की। इसको लगाने के उपरान्त न तो कोई पशु आदि खाते हैं। इस प्रकार हरियाणा के विभिन्न भागों में विशेष रूप से बंजर भूमि में इस औषधीय पौधे को खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है।
- नागौर-अजमेर
- ✓ पाली-राजसमन्द
- डूंगरपुर-उदयपुर
- सिरोही-उदयपुर
झीलवाड़ा की नाल , जिसे देसूरी की नालया पगल्या नाम से भी जाना जाता है, मेवाड़ को मारवाड़ से जोड़ती है। मुगलों के समय हल्दीघाटी के युद्ध के पश्चात् मुगलों ने अधिकांश आक्रमण इसी नाल से घुस कर किये। इसके अतिरिक्त मेवाड़ को मारवाड़ से जोडऩे वाली अन्य नाल सोमेश्वर की नाल, हाथीगुड़ा की नाल, भाणपुरा की नाल (राणकपुर का घाटा), कामली घाट, गोरम घाट व काली घाटी है।
16. निजी क्षेत्र में पवन ऊर्जा की पहली इकाई कहां स्थापित हुई थी और कब हुई थी ?
- फलौदी 2010
- हर्षपर्वत 2005
- देवगढ़, 2007
- ✓ जैसलमेर, 2001
- बाड़मेर
- गंगानगर
- नागौर
- ✓ बीकानेर
- ✓ डूंगरपुर
- जयपुर
- बाँसवाड़ा
- बाड़मेर
- सांचोर
- तनोट
- ✓ शाहगढ़
- बाधेवाला
वर्तमान में फोकस एनर्जी द्वारा क्षेत्र में उत्पादित की जाने वाले बैस की सप्लाई रामगढ़ स्थित विद्युत तापीय गृह को की जा रही है। वर्तमान में 70 लाख क्यूबिक फीट गैस की सप्लाई हो रही है।
20. ए.जी.जी. राजस्थान में अँग्रेज़ी राज के प्रतिनिधि हुआ करते थे। उनका कार्यालय प्रारम्भ में अजमेर में था, जिसे माउन्ट आबू में इस वर्ष स्थानान्तरित कर दिया गया था।
- ✓ 1856
- 1889
- 1835
- 1902
- ढाक वन
- सालर वन
- ✓ धौंक वन
- बांस वन
- पाली, नागौर, अजमेर, जयपुर
- ✓ पाली, सवाईमाधोपुर, जोधपुर, करौली
- कोटा, करौली, बारां, जयपुर
- जयपुर, अजमेर, टोंक, पाली
- नाक
- ✓ कान
- हाथ
- गला
- जयपुरी ख्याल
- तुर्रा कलंगी
- ✓ चारबैत ख्याल
- माच ख्याल
- अवनद्य
- सुषिर
- धन
- ✓ तत्भपंग - तूंबे के पैंदे पर पतली खाल मढी रहती है। खाल के मध्य में छेद करके तांत का तार निकाला जाता है। तांत के ऊपरी सिरे पर लकड़ी का गुटका लगता है। तांबे को बायीं बगल में दबाकर, तार को बाएँ हाथ से तनाव देते हुए दाहिने हाथ की नखवी से प्रहार करने पर लयात्मक ध्वनि निकलती है।
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