सौर मण्डल और इसके ग्रहों की जानकारी
सौर मंडल में सूर्य का वर्चस्व है क्योंकि यह पूरे सौर मंडल के करीब 99.9% पदार्थ के लिए जिम्मेदार है। पृथ्वी के लिए यह प्रकाश और ताप का स्रोत है। वैज्ञानिकों का मानना है कि गैसों के गतिशील बादलों, जिसे नेबुला कहा जाता है, से सूर्य और ग्रहों का निर्माण हुआ है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण इनका निर्माण हुआ है। लाखों वर्षों से भी अधिक समय से, धूल और गैसों के बने ये गोले सूर्य के इर्द–गिर्द घूम रहे हैं।
सूर्य अपने चारों तरफ परिक्रमा करने वाले आठ ग्रहों (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून), उपग्रहों, क्षुद्रग्रहों, उल्का और धूमकेतुओं के साथ सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। अपने द्रव्यमान और वजन से सूर्य ग्रहों की गति को नियंत्रित करता है। यह बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
2006 ई. तक सौरमंडल में नौ ग्रह थे। प्लूटो सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह था। 2006 ई. में, अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) ने ग्रहों की नई परिभाषा को अपनाया जिसके अनुसार प्लूटो ग्रहों की इस परिभाषा के दायरे में नहीं आता है । इसलिए अब इसे सौरमंडल का ग्रह नहीं माना जाता है। अतः वर्तमान में ग्रहों की संख्या आठ रह गयी है |
सूर्य
ऐसा माना जाता है कि सूर्य का जन्म 5 अरब वर्ष पहले हुआ था। उसी समय से, यह लगातार बहुत बड़ी मात्रा में ताप और प्रकाश का उत्सर्जन कर रहा है और आगामी 5 अरब वर्षों तक इसके इसी तरह से ताप और प्रकाश के उत्सर्जन करते रहने की उम्मीद है। सूर्य अनिवार्य रूप से गर्म गैसों का एक क्षेत्र है। सूर्य की डिस्क को फोटोस्फेयर भी कहते हैं । फोटोस्फेयर के उपर की गैस की परत बहुत अधिक गर्म होती हैं लेकिन उनका घनत्व बहुत कम है। ये परतें बहुत हल्की हैं और सूर्य के डिस्क से निकलने वाले तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में दिखाई नहीं देतीं। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय, जब सूर्य के डिस्क की रोशनी पूरी तरह से रुक जाती है, इसकी सबसे बाहरी परत दिखाई देने लगती है। यह सूर्य के चारो तरफ एक ताज जैसी दिखाई देती है। इस परत को कोरोना कहते हैं।
सूर्य की त्रिज्या (रेडियस) पृथ्वी की त्रिज्या से करीब 100 गुना अधिक है और इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से करीब दस लाख गुना अधिक है। सूर्य हमारा निकटतम तारा है। सूर्य की रोशनी को हम तक पहुंचने में करीब 8.3 प्रकाश मिनट लगते हैं। सूर्य के सबसे निकटतम तारे (प्रॉक्सिमा या अल्फा सेंटुअरी) की रोशनी पृथ्वी पर करीब 4.3 प्रकाश वर्षों में पहुंचती है।
ग्रह
ग्रह वास्तव में सूर्य के चारों तरफ अंडाकार पथ पर परिक्रमा कर रहे हैं जिसे कक्षा कहा जाता है । ग्रहों की अपनी धुरी के चारों तरफ की गति घूर्णन कहलाती है और सूर्य के चारों तरफ की गति परिक्रमा कहलाती है । तारों के समान ग्रहों में स्वयं की रोशनी और ताप नहीं होता है । 'प्लैनेट’ (ग्रह) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'प्लैनेटिया' से हुआ है, जिसका अर्थ है- 'यात्री'। तारों के सापेक्ष ग्रह अपनी स्थिति बदलते रहते हैं।
बुधः यह सूर्य के सबसे नजदीक स्थित और सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है। इसका आकार और द्रव्यमान करीब–करीब चंद्रमा के बराबर है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में यह 88 दिन लगाता है। अपनी धुरी पर यह 59 दिनों में एक बार परिक्रमा पूरी कर लेता है। इसका कोई उपग्रह नहीं हैं। बुध ग्रह पर कोई वायुमंडल भी नहीं है इसकी सतह चट्टानों और पहाड़ों से बनी हुई है। सूर्य की तरफ पड़ने वाली ग्रह की सतह को सबसे अधिक ताप और प्रकाश मिलता है, जबकि ग्रह के दूसरी तरफ की सतह को कभी भी सूर्य का प्रकाश या ताप नहीं मिलता। इसलिए बुध का एक हिस्सा बहुत अधिक गर्म तो दूसरा हिस्सा बहुत ही अधिक ठंडा है।
शुक्रः इसका भी कोई उपग्रह नहीं है। यह अपनी धुरी पर असामान्य रूप से अर्थात पूर्व से पश्चिम की तरफ घूमता है। शुक्र ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 4/5 गुना है। सूर्य की परिक्रमा में इसे 255 दिन और अपनी धुरी पर एक परिक्रमा पूरी करने में 243 दिन का समय लगता है। इसलिए अक्सर इसे ‘भोर या सांझ का तारा’ कहा जाता है। इस ग्रह पर वायुमंडल है, जिसमें मुख्य रूप से कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस है। यह सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
पृथ्वीः पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमती है। हमारी पृथ्वी एक गोले के जैसी है, जो उत्तर और दक्षिण में अर्थात ध्रुवों पर थोड़ी सी चपटी है। ध्रुवों पर थोड़ा चपटा होने के कारण पृथ्वी को जियॉड्स जिसका मतलब पृथ्वी जैसे आकार का होता है, के तौर पर वर्णित किया जाता है। सूर्य का यह तीसरा सबसे निकटतम ग्रह है। पानी की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहा जाता है। अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी रंग में नीली– हरी दिखाई देती है। पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां अस्तित्व और जीवन की निरंतरता के लिए कुछ विशेष वायुमंडलीय परिस्थितियां विद्यमान हैं। यहां उचित तापमान, पानी, मिट्टी, खनिज, उपयुक्त वातावरण और ओजोन की परत आदि पायी जाती है, जो इस ग्रह पर जीवन को संभव बनाती है।
मंगलः इसका आकार पृथ्वी के आकार का करीब आधा है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे करीब 687 दिन और अपनी धुरी की एक परिक्रमा करने में इसे एक दिन लगता हैं। यह हल्का लाल रंग का दिखता है और इसलिए इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। मंगल के दो छोटे प्राकृतिक उपग्रह हैं – फोबोस और डीमोस ।
बृहस्पतिः यह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 11 वर्ष और 11 माह का समय लगता है, जबकि अपनी धुरी पर यह 9 घंटे 56 मिनट में एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। इसके 16 उपग्रह हैं। इसके चारो तरफ धुंधले छल्ले भी दिखाई देते हैं। लाल रंग का बड़ा सा धब्बा इसकी सबसे अलग विशेषता है। अपने अधिक द्रव्यमान के कारण अपने आस– पास से गुजरने वाली अन्य वस्तुओं पर यह बहुत मजबूत गुरुत्वाकर्षण बल लगाता है। गैसीय रूप में हाइड्रोजन और हीलियम इस ग्रह पर मौजूद हैं। बाहरी क्षेत्र के बादलों में गैसीय रूप में मीथेन पाया जाता है जबकि अमोनिया क्रिस्टलीय रूप में मौजूद है।
शनिः बृहस्पति के बाद शनि ग्रह स्थित है, जो पीले रंग का दिखाई देता है। तीन खूबसूरत छल्ले इसे सौर मंडल में अलग बनाता है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 महीने का समय लगता है और अपनी धुरी पर यह 10 घंटे 40 मिनट में एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। इसके 18 उपग्रह हैं। सभी ग्रहों में शनि सबसे कम सघन है। इसका घनत्व पानी से भी कम है। आकार, द्रव्यमान और संरचना में यह बृहस्पति से छोटा है। हालांकि यह बृहस्पति की तुलना में ठंडा है।
अरुण/यूरेनसः टेलिस्कोप की मदद से खोजा जाने वाला यह सबसे पहला ग्रह था। वर्ष 1781 में विलियम हर्शेल ने टेलिस्कोप की मदद से इसे खोजा था। यूरेनस के वायुमंडल में हाइड्रोजन और मीथेन पाए गए हैं। यह पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। सबसे अधिक झुका हुआ अक्ष यूरेनस की सबसे उल्लेखनीय विशेषता है। परिणामस्वरुप, अपनी कक्षीय गति में यह अपनी तरफ घूमता दिखाई देता है। सूर्य की एक परिक्रमा करने में इसे 84 वर्ष लगते हैं जबकि अपनी धुरी पर यह एक परिक्रमा 17 घंटे 14 मिनट में पूरी कर लेता है। इसके 17 उपग्रह हैं।
नेपच्यूनः सूर्य की एक परिक्रमा करने में इसे 164 वर्ष और अपनी धुरी पर एक परिक्रमा पूरी करने में 16 घंटे 7 मिनट का समय लगता है। इसके 8 उपग्रह हैं।
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