भारत में यूरोपीय शक्तियों का आगमन
यूरोपीय देशों के व्यापारियों का आगमन लगभग 15वीं शताब्दी से शुरू हुआ और 17वीं शताब्दी तक पुर्तगाली, डच, फ़्रांसिसी और अंग्रेज आये। पहले तो यूरोपीय व्यापारी व्यापार के उद्देश्य से भारत आये लेकिन बाद यहां की प्राकृतिक सम्पदा को देखकर यहां अपना राजनीतिक प्रभुत्व भी स्थापित कर लिया।
पुर्तगालियों का आगमन - यूरोपीय व्यापारियों में सर्वप्रथम पुर्तगाली व्यापारी भारत आये। 'अल्मीडा' (1505-1509) पुर्तगाली बस्तियों का प्रथम गवर्नर जनरल बनकर आया। वह एशिया समुद्र पर पुर्तगाली प्रभुत्व स्थापित करने में सफल रहा। इसके बाद 'अल्बुकर्क' (1509-1515) ने भारत में गोवा, सूरत, बेसिन और दमन, दीव तक पुर्तगाली साम्राज्य बढ़ाया। पुर्तगाली भारत में व्यापार के साथ-साथ सत्ता भी स्थापित करना चाहिए थे किन्तु पुर्तगाल का स्पेन में विलय हो गया। अंग्रेजो ने 1588 ई० में स्पेन को पराजित कर एशिया पर व्यापारिक अधिकार स्थापित कर लिया।
डचों का आगमन - 1602 ई० में डच भारत आये। डचों को यहाँ व्यापार और राजनीतिक सत्ता स्थापित करने में अंग्रेजो और पुर्तगालियों से संघर्ष करना पड़ा। डच पुर्तगालियों को हटाने में सफल रहे लेकिन अंग्रेजो से हर गए। डचों ने यहां 'डच ईस्ट इंडिया' नामक कम्पनी बनाई।
अंग्रेजो का आगमन - लन्दन की एक कम्पनी ने एशिया में व्यापार करने के लिए ब्रिटिश हुकूमत से अधिकार प्राप्त कर लिया। वही कम्पनी भारत में 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' के नाम से स्थापित हुई। कैप्टन हॉकिन्स 1611 ई० और सर टॉमस रो 1615 ई० में जहाँगीर से भारत में व्यापर करने की अनुमति प्राप्त की। इस कम्पनी का उद्देश्य भारत में केवल व्यापार करना मात्र था। लेकिन भारत में सत्ता के लिये साम्राज्यों को आपस में लड़ता देख वह भी सत्ता स्थापित करने के लिए तत्पर हो गया। अंग्रेजो ने पहले डचों एवं बाद में फ्रांसीसियों को हटकर भारत में व्यापार स्थापित किया।
फ्रांसीसियों का आगमन - फ्रांसिसी सन् 1674 ई० में पांडिचेरी और चंद्रनगर में व्यापारिक कोठियों को स्थापित कर 'फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी' नामक कम्पनी बनाई। फ़्रांसिसी धीरे-धीरे यहां कई उपनिवेश स्थापित कर लिए। फ़्रांसिसी गवर्नर 'डुप्ले' अंग्रेजो की तरह भारत में साम्राज्य स्थापित करने का प्रयास किया इसलिए उसे अंग्रेजो से कई बार युद्ध करना पड़ा। अंत में उसे अंग्रेजो से हारना पड़ा।
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