Rajasthan GK in Hindi
राजस्थान एक *कृषि प्रधान राज्य* है
राजस्थान की *अर्थव्यवस्था कृषि प्रधानता मिट्टी* पर ही निर्भर है
मिट्टी में *रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग मिट्टी के कटाव सेम समस्या* आदि के कारण राज्य की *मिट्टियां निरंतर अपने मौलिक गुण* खोती जा रही है
राज्य में *खरपतवार*के कारण ही मृदा के *जैविक तत्व निरंतर कम*होते जा रहे हैं
इन सभी कारणों से राजस्थान में *मिटटी की प्रमुख समस्याएं*उत्पन्न हो रही है
मिट्टी अपरदन की समस्या🌻➖*
राजस्थान में *मिट्टी अपरदन*की समस्या प्रमुख है
राजस्थान में लगातार *मिट्टी का अपरदन* हो रहा है
मिट्टियों के *अपरदन व अपक्षरण* की समस्या को *रेंगती हुई मृत्यु* कहा गया है
प्राकृतिक और मानव शक्ति*द्वारा किसी प्रदेश के *मिट्टी आवरण को नष्ट*करने की प्रक्रिया को *मृदा अपरदन*कहते हैं
इस प्रक्रिया मे *प्रवाहित जल और हवा* की मुख्य भूमिका होती है
लवणीय व क्षारीय भूमी की समस्या🌻➖*
यह समस्या *शुष्क तथा अर्ध शुष्क प्रदेशों* के किसानों के सामने होती है
लवणीय व क्षारीय*भूमि की समस्या अधिकतर राजस्थान के *पश्चिमी जिले*में पाई जाती है
इस कारण यह किसान अपनी *भूमि से अनुमानित उपज*नहीं प्राप्त कर पाते हैं *कम वर्षा कम आर्द्रता उच्च तापक्रम उच्च वाष्पीकरण व वाष्पोत्सर्जन* इन प्रदान की विशेषता है
उपयुक्त *जलवायवीय कारक* ही इन प्रदेशों मे *लवणीय व क्षारीय भूमी व कुओं में खारा पानी*बनाने हेतु उत्तरदायी होता है
इस *खारे पानी* को ही प्रदेश में *खेती करने के काम*में लिया जाता है
इस कारण यहा *लवणीयता व क्षारीयता की समस्या*बढ जाती है
लवणो की अधिकता* से भूमि में पानी होते हुए भी पौधे *पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं*ले पाते हैं
इसका कारण *मृदा के घोल का रसाकर्षण दबाव*बढ़ जाता है
इस कारण *पौधों की वृद्धि पर लवणो* का विपरीत प्रभाव पड़ता है
क्षारीय भूमि में सोडियम* की अधिकता के कारण *मिट्टी की संरचना बिगड़* जाती है
जिससे भूमि में *हवा व पानी का संचार* सही रुप से नहीं हो पाता है
परिणाम स्वरुप *पौधों की उपज व वृद्धि कम* हो जाती है
सोडियम*की अधिकता से भूमि का *पी एच मान भी बढ़* जाता है
जिसके कारण भूमि का *पोषक संतुलन* बिगड़ जाता है
जिस कारण पौधे *उचित मात्रा व अनुपात में भोजन* प्राप्त नहीं कर पाते हैं
राजस्थान में भू-अवक्रमण
मिट्टी अवक्रमण से तात्पर्य है *मिट्टी द्वारा अपने जैविक तत्व भौतिक बनावट और रासायनिक संरचना को खो* देने से मिट्टी की *उर्वरा शक्ति में कमी आने की प्रक्रिया को मिट्टी अवक्रमण*कहते हैं
राज्य में *मिट्टी अवक्रमण की समस्या* दिनों दिन बढ़ती जा रही है
राजस्थान में *भू अवक्रमण निम्न कारणों*से बढ़ रहा है
भू-क्षरण द्वारा *मिट्टी की ऊपरी सतह का नष्ट*होना
वन विनाश व अतिवृष्टि तेज अंधड*से भू अपरदन
भूमि में *रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों और दवाई* के लगातार प्रयोग से
रंगाई छपाई उद्योग* के रासायनिक तत्वो के बहाव से
रासायनिक आणविक और उच्च क्षमता वाले विस्फोटकों* के प्रयोग से
महानगरों का *कूड़ा करकट अपशिष्ट पदार्थ और मल मूत्रों*का एक स्थान पर जमा होना
ईंटों व चूने के भट्टो,उद्योगों व ताप बिजली संयंत्र*से निकले हुए *धुएँ व राख* आदि से
लवणीय क्षारीय*समस्या भी *भू-अवक्रमण* का कारण है
इन सभी कारणों से *मिट्टी की गुणवत्ता में ह्यस* होने से *धीरे-धीरे मिट्टी अनुपजाऊ* होती जाती है
जिससे *कृषि उत्पादन* में भारी कमी हो जाती है
भूमि से उत्पन्न होने वाले *खाद्यान्नों फलों सब्जियों और अन्य कृषि जन्य पदार्थों* में *जहरीले तत्व उत्पन्न* हो जाते हैं
इन कारकों से *पेड़-पौधे व वनस्पति नष्ट*हो जाती है
इस प्रकार भूमि में *भूमि अवतरण के इन कारणों से जहरीले तत्व*उत्पन्न होकर *मानव के स्वास्थ्य और वनस्पति पर प्रतिकूल* प्रभाव पड़ता है
मिट्टी की जैविक शक्ति में गिरावट
खनिज उर्वरकों की अधिक मात्रा तथा कीटनाशी रसायनों* के निरंतर बढ़ते बोझ से *मिट्टी की जैविक शक्ति का ह्वास* हो रहा है
मिट्टी की *जैविक शक्ति के रूप में फफूंदी और शैवाल*आदि *सुक्ष्म वनस्पतियां एक्टीनोमाइसिट्स सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुए*मिट्टी की *उर्वरा शक्ति को बनाये*हुए है
यह सब मिलकर *मिट्टी के पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण* करते रहते हैं और मिट्टी की *उर्वरा शक्ति को बनाए* रखते हैं
मिट्टी और पानी की जांच किए बिना *अंधाधुन तरीके से उर्वरक और कीटनाशक रसायनों* का प्रयोग किया जा रहा है
जिस कारण मिट्टी *निरंतर खराब*हो रही है
रासायनिक उर्वरकों*के प्रयोग से *मिट्टी के लाभदायक जीवो का ह्वास* हो रहा है
खरपतवार की समस्या
मिट्टी के पोषक तत्वों का *शोषण अवांछित रुप से उगी हुई घास* करती रहती है
फसलो के साथ *उग जाने वाले अनावश्यक पौधों और घास को खरपतवार*कहते हैं
इस समस्या का निदान *खरपतवार को समय रहते उखाड़ना और फसलों में हेर-फेर* करना है
मरुस्थलीय प्रसार
थार का मरुस्थल उत्तर पूर्व की ओर राजस्थान पंजाब हरियाणा और उत्तरप्रदेश* में फेल रहा है
वनस्पति के अभाव व पवनों की गति*के कारण यहां की *मिट्टी उडकर उत्तर पूर्व* की ओर बढ़ रही है
मरुस्थलीय प्रसार* एक गंभीर समस्या बन गई है
मरूस्थल का फैलाव नहीं होकर *मरुस्थलीकरण की प्रवृति* बन रही है
इसके दो कारण है *पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानवीय कारण* है
इस समस्या के निवारण हेतु *1959 मेंCentral Arid Zone Research Institute (CAZRI ) की स्थापना जोधपुर* में की गई थी
यह संस्थान निरंतर *मरुस्थलीय प्रसार को रोकने*के लिए कार्य कर रही है
अनेक *शुष्क जलवायु के वृक्षों* की खोज की गई है जैसे➖ *होहोबा (जोजोबा) जैतून*
जलाधिक्य की समस्या
यह समस्या *राजस्थान के उत्तर पश्चिमी और दक्षिण पूर्वी नहरी क्षेत्र* में सबसे अधिक है
जब किसी क्षेत्र में *जल का स्तर फसल के जल क्षेत्र में स्थित मिट्टी की आर्द्रता* को रोक देता है
इस कारण *मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता*हो जाती है
इससे भूमि *सेम समस्याग्रस्त*हो जाती है
इस समस्या के *निवारण हेतु ,जल निकासी*की आवश्यकता है
इस कारण खेतों में *नालियां बनाई* जानी चाहिए
कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति का कम होना
विभिन्न प्रकार का *अपरदन ,वर्षा की कमी और पोषक तत्वों*की आपूर्ति नहीं होने से राज्य की *मिट्टी ऊसर एंव अनुपजाऊ* होती जा रही है
जलमग्नता/सेम की समस्या
राज्य में *सेम की समस्या नहरी क्षेत्रों में जल के रिसाव जल का आवश्यकता से अधिक उपयोग जल निकास के अपर्याप्त प्रबंधन* के कारण सेम की समस्या उत्पन्न होती है
धरातलीय भाग पर जल प्लावन(जल भरा होने)से दलदलीय स्थितियां* उत्पन्न हो जाती है यह *परिवर्तन की सेम की समस्या* कहलाता है
इंदिरा गांधी नहर गंगनहर चंबल नहर और अन्य नहरो* से हो रही लगातार *जल रिसाव के कारण सेम की समस्या* उत्पन्न हो रही है
सेम की समस्या* *सर्वाधिक हनुमानगढ़ जिले में घग्गर के मैदान* में होती है
इस प्रदेश में *सेम की समस्या* का कारण *धरातल केे 8-10 फिट नीचे एक कठोर चट्टान के रूप में जिप्सम की परत* का बिछा होना है
सूरतगढ़ क्षेत्र* में *घग्घर नदी की बाढ*़ के जल को रोकने के लिए जगह जगह पर *तालाब* बनाए गए थे
लेकिन इन *तालाबो में लवणता की मात्रा ज्यादा*होने से *सेम की समस्या उत्पन्न* हो गई और यहां पर *हजारों हैक्टेयर भूमि बंजर* बन गई ह
चंबल सिंचित* विकास क्षेत्र में 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में *1-1.5 मीटर की गहराई तक pvc पाइप लाईन* डालकर *अतिरिक्त जल की निकासी*की जा रही है
सेम की समस्या*को रोकने के निम्न उपाय हैं
जिप्सम*का उपयोग करना यूकेलिप्टस*के वृक्ष लगाना
भूमीगत नालियों*का निर्माण करना
किसानों को *कम पानी में पकने वाली फसलें उगाने*के लिए प्रोत्साहित करना
जलमग्न क्षेत्र में वन और चारागाह* उगाने के प्रयास करना
मृदा अपरदन
राजस्थान में *मृदा अपरदन की समस्या बहुत गंभीर* है
अपरदन के कारण *मिट्टी का उपजाऊपन* कम होता है
इस अपरदन का प्रभाव *कृषि पशुपालन उद्योग*आदि पर पड़ता है
मृदा अपरदन को *नवीन प्रौद्योगिकी* ने और बढ़ावा दिया है
राजस्थान एक *कृषि प्रधान राज्य* है
राजस्थान की *अर्थव्यवस्था कृषि प्रधानता मिट्टी* पर ही निर्भर है
मिट्टी में *रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग मिट्टी के कटाव सेम समस्या* आदि के कारण राज्य की *मिट्टियां निरंतर अपने मौलिक गुण* खोती जा रही है
राज्य में *खरपतवार*के कारण ही मृदा के *जैविक तत्व निरंतर कम*होते जा रहे हैं
इन सभी कारणों से राजस्थान में *मिटटी की प्रमुख समस्याएं*उत्पन्न हो रही है
मिट्टी अपरदन की समस्या🌻➖*
राजस्थान में *मिट्टी अपरदन*की समस्या प्रमुख है
राजस्थान में लगातार *मिट्टी का अपरदन* हो रहा है
मिट्टियों के *अपरदन व अपक्षरण* की समस्या को *रेंगती हुई मृत्यु* कहा गया है
प्राकृतिक और मानव शक्ति*द्वारा किसी प्रदेश के *मिट्टी आवरण को नष्ट*करने की प्रक्रिया को *मृदा अपरदन*कहते हैं
इस प्रक्रिया मे *प्रवाहित जल और हवा* की मुख्य भूमिका होती है
लवणीय व क्षारीय भूमी की समस्या🌻➖*
यह समस्या *शुष्क तथा अर्ध शुष्क प्रदेशों* के किसानों के सामने होती है
लवणीय व क्षारीय*भूमि की समस्या अधिकतर राजस्थान के *पश्चिमी जिले*में पाई जाती है
इस कारण यह किसान अपनी *भूमि से अनुमानित उपज*नहीं प्राप्त कर पाते हैं *कम वर्षा कम आर्द्रता उच्च तापक्रम उच्च वाष्पीकरण व वाष्पोत्सर्जन* इन प्रदान की विशेषता है
उपयुक्त *जलवायवीय कारक* ही इन प्रदेशों मे *लवणीय व क्षारीय भूमी व कुओं में खारा पानी*बनाने हेतु उत्तरदायी होता है
इस *खारे पानी* को ही प्रदेश में *खेती करने के काम*में लिया जाता है
इस कारण यहा *लवणीयता व क्षारीयता की समस्या*बढ जाती है
लवणो की अधिकता* से भूमि में पानी होते हुए भी पौधे *पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं*ले पाते हैं
इसका कारण *मृदा के घोल का रसाकर्षण दबाव*बढ़ जाता है
इस कारण *पौधों की वृद्धि पर लवणो* का विपरीत प्रभाव पड़ता है
क्षारीय भूमि में सोडियम* की अधिकता के कारण *मिट्टी की संरचना बिगड़* जाती है
जिससे भूमि में *हवा व पानी का संचार* सही रुप से नहीं हो पाता है
परिणाम स्वरुप *पौधों की उपज व वृद्धि कम* हो जाती है
सोडियम*की अधिकता से भूमि का *पी एच मान भी बढ़* जाता है
जिसके कारण भूमि का *पोषक संतुलन* बिगड़ जाता है
जिस कारण पौधे *उचित मात्रा व अनुपात में भोजन* प्राप्त नहीं कर पाते हैं
राजस्थान में भू-अवक्रमण
मिट्टी अवक्रमण से तात्पर्य है *मिट्टी द्वारा अपने जैविक तत्व भौतिक बनावट और रासायनिक संरचना को खो* देने से मिट्टी की *उर्वरा शक्ति में कमी आने की प्रक्रिया को मिट्टी अवक्रमण*कहते हैं
राज्य में *मिट्टी अवक्रमण की समस्या* दिनों दिन बढ़ती जा रही है
राजस्थान में *भू अवक्रमण निम्न कारणों*से बढ़ रहा है
भू-क्षरण द्वारा *मिट्टी की ऊपरी सतह का नष्ट*होना
वन विनाश व अतिवृष्टि तेज अंधड*से भू अपरदन
भूमि में *रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों और दवाई* के लगातार प्रयोग से
रंगाई छपाई उद्योग* के रासायनिक तत्वो के बहाव से
रासायनिक आणविक और उच्च क्षमता वाले विस्फोटकों* के प्रयोग से
महानगरों का *कूड़ा करकट अपशिष्ट पदार्थ और मल मूत्रों*का एक स्थान पर जमा होना
ईंटों व चूने के भट्टो,उद्योगों व ताप बिजली संयंत्र*से निकले हुए *धुएँ व राख* आदि से
लवणीय क्षारीय*समस्या भी *भू-अवक्रमण* का कारण है
इन सभी कारणों से *मिट्टी की गुणवत्ता में ह्यस* होने से *धीरे-धीरे मिट्टी अनुपजाऊ* होती जाती है
जिससे *कृषि उत्पादन* में भारी कमी हो जाती है
भूमि से उत्पन्न होने वाले *खाद्यान्नों फलों सब्जियों और अन्य कृषि जन्य पदार्थों* में *जहरीले तत्व उत्पन्न* हो जाते हैं
इन कारकों से *पेड़-पौधे व वनस्पति नष्ट*हो जाती है
इस प्रकार भूमि में *भूमि अवतरण के इन कारणों से जहरीले तत्व*उत्पन्न होकर *मानव के स्वास्थ्य और वनस्पति पर प्रतिकूल* प्रभाव पड़ता है
मिट्टी की जैविक शक्ति में गिरावट
खनिज उर्वरकों की अधिक मात्रा तथा कीटनाशी रसायनों* के निरंतर बढ़ते बोझ से *मिट्टी की जैविक शक्ति का ह्वास* हो रहा है
मिट्टी की *जैविक शक्ति के रूप में फफूंदी और शैवाल*आदि *सुक्ष्म वनस्पतियां एक्टीनोमाइसिट्स सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुए*मिट्टी की *उर्वरा शक्ति को बनाये*हुए है
यह सब मिलकर *मिट्टी के पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण* करते रहते हैं और मिट्टी की *उर्वरा शक्ति को बनाए* रखते हैं
मिट्टी और पानी की जांच किए बिना *अंधाधुन तरीके से उर्वरक और कीटनाशक रसायनों* का प्रयोग किया जा रहा है
जिस कारण मिट्टी *निरंतर खराब*हो रही है
रासायनिक उर्वरकों*के प्रयोग से *मिट्टी के लाभदायक जीवो का ह्वास* हो रहा है
खरपतवार की समस्या
मिट्टी के पोषक तत्वों का *शोषण अवांछित रुप से उगी हुई घास* करती रहती है
फसलो के साथ *उग जाने वाले अनावश्यक पौधों और घास को खरपतवार*कहते हैं
इस समस्या का निदान *खरपतवार को समय रहते उखाड़ना और फसलों में हेर-फेर* करना है
मरुस्थलीय प्रसार
थार का मरुस्थल उत्तर पूर्व की ओर राजस्थान पंजाब हरियाणा और उत्तरप्रदेश* में फेल रहा है
वनस्पति के अभाव व पवनों की गति*के कारण यहां की *मिट्टी उडकर उत्तर पूर्व* की ओर बढ़ रही है
मरुस्थलीय प्रसार* एक गंभीर समस्या बन गई है
मरूस्थल का फैलाव नहीं होकर *मरुस्थलीकरण की प्रवृति* बन रही है
इसके दो कारण है *पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानवीय कारण* है
इस समस्या के निवारण हेतु *1959 मेंCentral Arid Zone Research Institute (CAZRI ) की स्थापना जोधपुर* में की गई थी
यह संस्थान निरंतर *मरुस्थलीय प्रसार को रोकने*के लिए कार्य कर रही है
अनेक *शुष्क जलवायु के वृक्षों* की खोज की गई है जैसे➖ *होहोबा (जोजोबा) जैतून*
जलाधिक्य की समस्या
यह समस्या *राजस्थान के उत्तर पश्चिमी और दक्षिण पूर्वी नहरी क्षेत्र* में सबसे अधिक है
जब किसी क्षेत्र में *जल का स्तर फसल के जल क्षेत्र में स्थित मिट्टी की आर्द्रता* को रोक देता है
इस कारण *मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता*हो जाती है
इससे भूमि *सेम समस्याग्रस्त*हो जाती है
इस समस्या के *निवारण हेतु ,जल निकासी*की आवश्यकता है
इस कारण खेतों में *नालियां बनाई* जानी चाहिए
कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति का कम होना
विभिन्न प्रकार का *अपरदन ,वर्षा की कमी और पोषक तत्वों*की आपूर्ति नहीं होने से राज्य की *मिट्टी ऊसर एंव अनुपजाऊ* होती जा रही है
जलमग्नता/सेम की समस्या
राज्य में *सेम की समस्या नहरी क्षेत्रों में जल के रिसाव जल का आवश्यकता से अधिक उपयोग जल निकास के अपर्याप्त प्रबंधन* के कारण सेम की समस्या उत्पन्न होती है
धरातलीय भाग पर जल प्लावन(जल भरा होने)से दलदलीय स्थितियां* उत्पन्न हो जाती है यह *परिवर्तन की सेम की समस्या* कहलाता है
इंदिरा गांधी नहर गंगनहर चंबल नहर और अन्य नहरो* से हो रही लगातार *जल रिसाव के कारण सेम की समस्या* उत्पन्न हो रही है
सेम की समस्या* *सर्वाधिक हनुमानगढ़ जिले में घग्गर के मैदान* में होती है
इस प्रदेश में *सेम की समस्या* का कारण *धरातल केे 8-10 फिट नीचे एक कठोर चट्टान के रूप में जिप्सम की परत* का बिछा होना है
सूरतगढ़ क्षेत्र* में *घग्घर नदी की बाढ*़ के जल को रोकने के लिए जगह जगह पर *तालाब* बनाए गए थे
लेकिन इन *तालाबो में लवणता की मात्रा ज्यादा*होने से *सेम की समस्या उत्पन्न* हो गई और यहां पर *हजारों हैक्टेयर भूमि बंजर* बन गई ह
चंबल सिंचित* विकास क्षेत्र में 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में *1-1.5 मीटर की गहराई तक pvc पाइप लाईन* डालकर *अतिरिक्त जल की निकासी*की जा रही है
सेम की समस्या*को रोकने के निम्न उपाय हैं
जिप्सम*का उपयोग करना यूकेलिप्टस*के वृक्ष लगाना
भूमीगत नालियों*का निर्माण करना
किसानों को *कम पानी में पकने वाली फसलें उगाने*के लिए प्रोत्साहित करना
जलमग्न क्षेत्र में वन और चारागाह* उगाने के प्रयास करना
मृदा अपरदन
राजस्थान में *मृदा अपरदन की समस्या बहुत गंभीर* है
अपरदन के कारण *मिट्टी का उपजाऊपन* कम होता है
इस अपरदन का प्रभाव *कृषि पशुपालन उद्योग*आदि पर पड़ता है
मृदा अपरदन को *नवीन प्रौद्योगिकी* ने और बढ़ावा दिया है
रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों का प्रयोग मृदा अपरदन* के लिए उत्तरदायी है
राज्य में *अरावली पर्वतीय क्षेत्रों* में मृदा अपरदन का प्रमुख कारण *वनों का विनाश, अत्यधिक पशुचारण और अविवेकपूर्ण कृषि* है
जल वायु अथवा अन्य किसी भौतिक शक्ति* के कारण *मृदा कणों के अपने स्थान से हटने को मृदा अपरदन* कहते हैं
मिट्टी के *अपरदन और अपक्षरण की समस्या को रेंगती हुई मृत्यु* कहा गया है
मिट्टी के *अपरदन को मिट्टी का *क्षय रोग(TV)* कहा गया है
प्राकृतिक और मानव शक्ति*द्वारा *किसी प्रदेश के मिट्टी आवरण को नष्ट* करने की प्रक्रिया को *मृदा अपरदन* कहते हैं
इस प्रक्रिया में *प्रवाहित जल और हवा की मुख्य भूमिका*होती है
राजस्थान में *सर्वाधिक मृदा अपरदन वायु अपरदन से और उसके बाद जल अपरदन*से होता है
मृदा अपरदन की प्रक्रिया *दो चरणों*में होती है *1-मृदा का पृथक्कीकरण* *2-मृदा का परिवहन*
मृदा ,अपरदन*से ही बनती है और *अपरदन से ही नष्ट*होती है
मिट्टी के अपरदन के कारण राजस्थान में *मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया बढ़* रही है
जिस स्थान पर *वनस्पति की कमी*होती है वहां पर *मृदा अपरदन की प्रक्रिया* तेजी से होती है
एक ही स्थान पर पशुओं की लगातार चराई, पेड़ों की कटाई, जंगलों में लगने वाली आग, पहाड़ों का खनन, असंगत तरीके से की गई खेती और अन्य ऐसी गतिविधियों के कारण मृदा अपरदन को बढ़ावा* मिल रहा है
इसके *कुप्रभाव*से राज्य के कहीं भाग ग्रस्त हैं
इनमें से *जल द्वारा मिट्टी अपरदन (दक्षिणी पूर्वी भाग)चंबल के उत्खनात स्थलाकृति* वाले क्षेत्र में है
वायु अपरदन राज्य के उत्तर पश्चिमी राजस्थान* में होता है
पहाड़ी ढालों पर मृदा अपरदन*तेजी से होता है
मृदा अपरदन के प्रकार
*🔷मिट्टी का अपरदन* कई प्रकार से होता है
🔷कहीं कहीं पर *मिट्टी का ऊपरी अपक्षरण* होता है
🔷कहीं *गहरी नलिकाएं बना के गढ्ढे* के रूप में *मिट्टी का अपरदन*होता है
*🔷पहाड़ी ढालू भूमि पर मुसलाधार बारिश से चादरी अपरदन* होता है
🔷पश्चिमी भाग से आने वाली *पवने कच्छ का रन से लवणता* इस प्रदेश में लाकर *जमा कर*देती है इससे *मिट्टी का अपरदन* होता है
🔷मिट्टी का अपरदन सभी स्थानों पर *एक समान नहीं*होता है
🔷मिट्टी का अपरदन *कई बातों पर निर्भर* करता है जैसे➖ *मिट्टी का गुण, भूमि का ढाल ,वर्षा की मात्रा* आदि कारण *मृदा अपरदन*को प्रभावित करते हैं
🔷मुख्यत:मिट्टी का अपरदन *चार प्रकार* से होता है
*1⃣आवरण अपरदन🌻➖* 💧जब वर्षा के समय *निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी वर्षा जल के साथ घूलकर बह*जाती है
💧जिससे भूमि की *ऊपरी परत के उर्वरा तत्व हट*कर चले जाते हैं
💧इस अपरदन को *भूमि का आवरण अपरदन* कहते हैं
💧इस प्रकार का कटाव *वनों के नाश और बदलती खेती*के परिणाम स्वरुप होता है
💧यह आवरण अपरदन *राजस्थान में सिरोही उदयपुर अलवर डूंगरपुर* आदि जिलों में अधिक होता है
*2⃣अवनालिका अपरदन🌻➖*
💧यह अपरदन *नदियों ,सहायक नदियों ,लघु सरिता और नाले के जल के बहाव*से होता है
💧जब *जल बहता* है तो इन की *धाराएं मिट्टी की ऊपरी आवरण को हटाने की बजाय कुछ गहराई तक काटकर गहरे गड्ढे या नालियां* बना देती हैं
💧इसे भूमि का *अवनालिका अपरदन* कहते हैं
💧यह अपरदन *सबसे अधिक हानिकारक* होता है
💧जब मिट्टी का अपरदन *2 मीटर से 200 मीटर*तक की *गहरी नलिकाओं*द्वारा होता है तो *संपूर्ण क्षेत्र कट फट*जाता है
💧इस मृदा अपरदन को *बिहड या उत्खनात स्थलाकृति*कहते हैं
*🍃उत्खनात स्थलाकृति*➖ ""कृषि के अयोग्य ऊंची नीची भूमि"* *विशेष जिला करौली* में और *सर्वाधिक क्षेत्र चंबल नदी के किनारे* मिलती है
*🍃बिहड*➖ *चंबल नदी के दोनों किनारों पर स्थित घने जंगल* को बीहड़ कहते हैं
*🍃कोटा से बाँरा* के मध्य के जंगलों को *कुँवारी बिहड (काली सिंध के आसपास के क्षेत्र)के नाम* से जाना जाता है
💧यह अपरदन *चंबल ,गंभीर, मोरेल,ढूंढ, बाढ़ गंगा*आदि नदियों के क्षेत्रों में होता है
💧यह राज्य के *कोटा सवाई माधोपुर धोलपुर करोली जिले*मैं होता है मिटटी का
💧राज्य में *सर्वाधिक अवनालिका अपरदन चंबल नदी*पर पाया जाता है
💧सर्वाधिक अवनालिका अपरदन *करौली (जिला विशेष)जिले*में होता है
*3⃣वायु अपरदन🌻➖*
💧इस अपरदन में *मरुभूमि में तेजी से बहती प्रचंड हवाओ*ं द्वारा *मिट्टी को उड़ाकर एक स्थान से दूसरे स्थान* तक ले जाया जाता है इसेे वायु द्वारा अपरदन या *वायु अपरदन* कहते हैं
💧इस अपरदन के लिए *शुष्क प्रदेशों या मरुभूमियों में वायु और बालू कण मिलकर अपरदन का सशक्त माध्यम*बनते हैं
💧राज्य के *पश्चिमी व उत्तरी भाग* इस प्रकार के अपरदन से प्रभावित हैं
*💧जोधपुर स्थित काजरी के विशेषज्ञों*का मानना है कि *थार मरुभूमि से वायु के साथ-साथ बालू का अवश्य विस्तार* होता जा रहा है
*💧बालू के विस्तार* का मुख्य कारण *अरावली क्षेत्र से वनो का तेजी से नष्ट* होना है
💧वायु अपरदन मुख्यतः राज्य के *बाड़मेर जोधपुर बीकानेर जैसलमेर सीकर चूरू जयपुर अजमेर*जिले में होता है
*4⃣धरातलीय अपरदन🌻➖*
💧पर्वत पदीय क्षेत्रों में *जल के तेज बहाव से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत का कटाव* होना *धरातलीय अपरदन*कहलाता है
💧इस अपरदन को *परतदार अपरदन*भी कहते हैं
////// *ममता शर्मा*//////
🌲🌷मृदा अपरदन के कारण🌷🌲*
🔷तेजी से बढ़ती *आबादी और राज्य की वन उत्पादों की बहुगुणित बढ़ती मांग के कारण लगातार वनों को काटा*जाना
🔷लगातार वनों के कटने से *भूमि के रक्षात्मक तत्व तेजी से घटने वाले वर्षा जल के साथ घूलकर* चले जाते हैं और वहां *विशाल उजाड़ उत्पन्न*हो जाता है
*🔷अर्ध शुष्क व चारागाह क्षेत्रों* में रहने वाले निवासी *असंख्य मात्रा में भेंड-बकरी*आदि पशुओं को पालते हैं
🔷जो भूमि की *वनस्पति को अंतिम बिंदु तक चरकर (अंधा-धुंध पशुचारण)उसे समाप्त*कर देते हैं
🔷यह *ढीले भाग जल अथवा मिट्टी के वेग के साथ बहकर भूमि को अनुपजाऊ* बना देते हैं
🔷राज्य के अनेक क्षेत्रों के *पहाड़ी ढालों पर (डूंगरपुर बांसवाड़ा उदयपुर)* आदिवासियों द्वारा *झूमिंग कृषि प्रणाली के द्वारा वनों को काटकर कृषि योग्य* बनाया जाता है
🔷कृषि के *अवैज्ञानिक ढंग अपनाकर कृषक स्वयं मिट्टी के क्षरण* को बढ़ाता है
🔷ढलान क्षेत्र में *समोच्च रेखाओं से समानांतर जुताई ना* करने से *दोषयुक्त फसल चक्र अपनाने*से या *आवरण फसलें गलत तरीके से बोने* मिट्टी का क्षरण होता है
🔷राजस्थान में *वर्षा ऋतु से पहले और बसंत ऋतु के काल*में आने वाली *तेज आंधी के द्वारा मिट्टी की ऊपरी सतह का बड़ी मात्रा में अपरदन* होता है
🔷इन आंधियों से *मिट्टी के उर्वरक तत्व उड़ कर* चले जाते हैं
🔷इन्हें रोकने हेतु *कटारबद्ध वृक्षारोपण* करना चाहिए
*🔱🌹मृदा अपरदन से होने वाली हानियां प्रभाव🌹🔱*
🔷विभिन्न प्रकार के भूमि अपरदन के सयुक्त प्रभावों का *राष्ट्रीय योजना समिति 1948* नें निम्न लिखित बिंदु बताएं हैं
*🔷भीषण और आकस्मिक बाढों*का प्रकोप *सूखे की लंबी अवधि*जिसका प्रभाव *नहरो*पर पड़ता है और *अकाल की संभावनाएं* बढ़ना
🌻जल के अतिरिक्त स्त्रोतों पर *प्रतिकूल प्रभाव* जिससें *नदी नालों की सतह* नीचे हो जाती है
🔷इस कारण *सिंचाई में कठिनाई* होती है
🔷नदियों की *तह में बालू का जम* जाना जिस कारण *नदी की धारा में परिवर्तन* होता रहता है
*🔷नहरो और बंदरगाह* का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है
*🔷उच्च कोटि की भूमि नष्ट*हो जाने से *कृषि का उत्पादन कम* हो जाता है *गड्ढों से होने वाले भूमि क्षरण* और *नदियों के किनारे के भूमि क्षरण से खेती योग्य भूमि में कमी* पड़ने लगती है
🔷मिट्टी का अपक्षरण होने से *मिट्टी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर मार्ग अवरुद्ध*कर देती है
🔷मिट्टी अपरदन के कारण *अंकुरित बीज नष्ट* हो जाते हैं जिससे *फसल उत्पादन* पर प्रभाव पड़ता है
🔷इसके अतिरिक्त मृदा अपरदन का प्रभाव *वनस्पति ,मनुष्य ,पशुओं, सामाजिक, आर्थिक क्रियाओं*पर भी पड़ता है
*🔱🌹मिट्टी अपरदन (मृदा संरक्षण) को रोकने के उपाय🌹🔱*
*पहाड़ी ढालों, बंजर और खाली पड़ी भूमि और नदियों के किनारे वृक्षारोपण करना* जिससे *मिट्टी का अपरदन* कम किया जाए
🔷भेड़ बकरियों की *अंधाधुंध चराई पर नियंत्रण* करना और उनके लिए *चारागाहों का विकास* करना
🔷उच्च ढालू भूमि में *समोच्च रेखीय पद्धति*से कृषि करना
*🔷मरुस्थलीय क्षेत्र*में *मिट्टी को उड़ने से रोकने*के लिए *वृक्षों की पट्टियां (शेल्ट बेल्ट)*लगाना
*🔷बहते हुए जल का वेग रोकने* के लिए खेतो में *मेड़बंदी* करना
*🔷ऊंची भूमि*पर *टेढी-मेढी* खेती और *मैदानों में पढ़ती खेती की पद्धति*अपनाना
🔷जिससे *जल प्रवाह रोक* कर *मिट्टी अपरदन* को रोका जा सके
🔷जो मिट्टी *जल द्वारा कट* गई है उसे रोकने के लिए *खेतों के ढाल की ओर आड़ी खाईया*बनाना
*🔷जोते हुए रक्षात्मक आवरण*को बनाए रखने के लिए *फसलों का हेर-फेर* करना
🔷भूमि को कुछ समय के लिए *पड़ती और खुली*रखना
🔷खेतों की मेढ़ और ढालू भूमि की ओर *समोच्च*बनाते समय उस और जल प्राप्ति के अनुसार *वृक्ष या झाड़ियों की कतार* लगाना
🔷बहते हुए *जल की मात्रा और भारीपन* में कमी करना
🍃इसके लिए *पहाड़ीयो के ढाल*पर अथवा *ऊंचे-नीचे क्षेत्र में बहते हुए जल का संग्रहण*करने के लिए *छोटे छोटे तालाब*बनवाना
🍃बाढ़ के समय *नदियों का अतिरिक्त जल को रोके* रखने के लिए *विशाल जलाशय*तैयार करना
🍃खेतों पर थोड़ी थोड़ी दूर पर ऐसे *मेड़/बांध*बनाना जो *एकत्र जल को अनेक भागों में बांटकर* जल का *वेग कम*कर सके
*🔱🌹जल द्वारा होने वाली मिट्टी के कारण को रोकने के उपाय🌹🔱*
🔷भूमि को *जोतने के बाद उसे वनस्पति से ढककर तेज बूंदों के आधात* से बचाना
🔷भूमि पर ही पड़ी रहने वाली *वनस्पति को स्वत:सडने* दिया जाना
🔷जिससे भूमि की *जल ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि*होकर मिट्टी का कटाव रोकने
🔷खेतों में *लगातार पौधे या दाले बोने* से मिट्टी का कटाव रोकना
🌹जिस मृदा का *ph मान*परिसर *6.5-7.5* होता है
💧यह मृदा *सामान्य मृदा* कहलाती है
💧इसमें *पादप पोषक सुलभता एवं सूक्ष्मजीव क्रियाशीलता*अधिक होती है
🌹जिस मिट्टी में *चूने की मात्रा कम* होती है उसे *अम्लीय मिट्टी* कहते हैं
💧अम्लीय मिट्टी का *पीएच मान 7से कम*होता है
💧अम्लीय मिट्टियों कोें *चूना पत्थर गंधक का अम्ल पायराइट्स आदि रसायनों* का उपयोग कर के *सुधारा*जा सकता है
🌹लवणीय मिट्टियों में *चुकंदर आलू कपास जौ गेंहू जैसी लवण रोधी फसल उगाना* लाभदायक रहता है
🌹राज्य का सर्वाधिक *19.41 प्रतिशत भूभाग वायु अपरदन*से ग्रस्त है
🌹राजस्व की दृष्टि से *सिंचित भूमि को चाही*और *असिंचित भूमि को बारानी* कहते हैं
🌹वर्ष *1952 में जोधपुर*में *मरुस्थल वृक्षारोपण एवं अनुसंधान केंद्र* खोला गया था
🌹हनुमानगढ़ जिले का *बडोपल गांव सेम की समस्या* के लिए जाना जाता है
🌹किन्ही कारणों से *रेगिस्तान का आगे बढ़ना रेगिस्तान का मार्च* कहलाता है
🌹मिट्टी की *क्षारीयता की समस्या के समाधान के लिए जिप्सम का प्रयोग* किया जाता है
*🌹लवणीयता की समस्या के समाधान हेतु रॉक फॉस्फेट*का उपयोग करते हैं
🌹राज्य में *सुबबूल नामक वृक्ष*लगाये जाने से है
🌹यह *क्षारीयता सहन* करता है , *नाइट्रोजन बढ़ाता* है
🌹जल से होने वाला *अपरदन रोकता* है
🌹पशुओं के लिए *चारा व लकड़ी उपलब्ध* करवाता है
🌹यह *सुबबूल शीघ्र* बढता है
*🌹तालाब में या बड़े गड्ड़े*में पानी और दलदल सूखने पर *जमी उपजाऊ मिट्टी की परत को ""पणो"" कहा*जाता है
🌹अनुपजाऊ या वर्षा में *बिना जोती गई पड़त भूमि को ""बाझँड""* ने कहा जाता है
*🌹चंबल क्षेत्र में सेम की समस्या के समाधान* के लिए शुरु की गई परियोजना *राजाड परियोजना* है
🌹सेम का मुख्य कारण *प्राकृतिक ह्वास* है
////// *ममता शर्मा*//////
🌹सेम की समस्या* के निवारण के लिए *Indo-dutch जल निकास परियोजना* चलाई गई
🌹यह परियोजना *नीदरलैंड की सहायता*से चलाई गई
*🌹नर्मदा नहर परियोजना में संपूर्ण सिंचाई फव्वारा पद्धति*से की जाएगी
🌹देश की कुल *व्यर्थ भूमि का 20% भाग राजस्थान* में है
*🌹क्षेत्रफल की दृष्टि*से राज्य में *सर्वाधिक व्यर्थ भूमि जैसलमेर से 37%* जिले में है
🌹उपलब्ध क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि से *राजसमंद जिला सर्वाधिक व्यर्थ पठार भूमि* क्षेत्र के अंतर्गत आता है
*🌹लवणीय परती भूमि* पर सबसे अधिक क्षेत्र *पाली जिले*में है
*🌹सर्वाधिक परती भूमि जोधपुर*जिले में है
*🌹सर्वाधिक बीहड़ भूमि सवाई माधोपुर व करौली जिले*में है
*🌹मूंगफली पीली मिट्टी* के क्षेत्रों में अधिक बोई जाती है
🌹राजस्थान में *सामान्य मिट्टी*परीक्षण प्रयोगशाला व *समस्याग्रस्त मिट्टी* परीक्षण प्रयोगशाला *जयपुर-जोधपुर* में
*🌹शीत ऋतु की रात्रियों*में तापमान *हिमांक बिंदु तक चले* जाने से *फसल नष्ट*हो जाती है l
🌹इस स्थिति को *पाला पड़ना* कहते हैं
*🌹ऊसर भूमि सुधारक* के रूप में *केल्सियम सल्फेट रसायन* का प्रयोग किया जाता है
*🌹समस्याग्रस्त मृदा* में फास्फोरस उर्वरक *पोषक तत्व स्थिर*हो जाता है *मिट्टी का घनत्व P.D.अथवा Dp में प्रदर्शित*किया जाता है
*🌹बैक्टिरिया सूक्ष्म जीवों* की संख्या मृदा में *अधिकतम* होती है
🌹अधिकांश मृदाओं का *घनत्व 1 से 1.8 g/cm* होता है
*🌹इलाइट* मृदा खनिज में *पोटाश की अधिकता* होती है
🌹मृदा में *जेव कार्बन और जैविक पदार्थ* का अनुपात *1.0:1.7*होता है
🌹मिट्टी से *जल को बांधने* की प्रक्रिया *अभिलाग* कहलाती है
🌹मिट्टी के *रंग* की माप *मन्सेल कलर चार्ट* द्वारा की जाती है
🌹मृदा के *मूल पदार्थों को रीगोलिथ*कहते हैं
🌹मृदा का *मुख्य घटक सिल्ट या दोमट* होता है
*🌹खेती की दृष्टि*से सर्वोत्तम मृदा संरचना *मृदु कोणीय संरचना*होती है
*🌹जल पटल* पर मृदा वायु की मात्रा *शुन्य* होती है
🌹मिट्टी में *ताप प्रवाह चालन* द्वारा होता है
*🌹खेती फसलों* के लिए उपयुक्त मृदा संरचना *कम्बी संरचना*है
*🌹सबसे अधिक सरन्ध्र मटियार मृदाओं* में होते हैं
🌹मृदा से संबंधित *कारकों को एडेफिक* कहते हैं
*🌹पीट मृदा* सामान्यतः *काली भारी और अम्लीय मृदा*के नाम से जानी जाती है
*🌹साधारण मृदा* का *स्थूल घनत्व 14 से 18gm/cc*होता है
🌹मिट्टी में *कार्बन डाई ऑक्साइड*की मात्रा *0.5% से कम* पाई जाती है
*🌹केंद्रीय भू संरक्षण बोर्ड* का कार्यालय *सीकर और जयपुर* जिले में स्थित है
*🌹पानी एवं मिट्टी के परीक्षण*के लिए राज्य में *जयपुर जोधपुर कोटा श्रीगंगानगर अलवर बांसवाड़ा जिलों*में प्रयोगशालाएं स्थापित की गई
*🌹कृषि विभाग*राजस्थान सरकार द्वारा *मिट्टीयों को उर्वरता* के आधार पर *14 भागों* में बांटा गया है
*🌹मृदा की नमी* को नापने का उपकरण *टेन्सियोमीटर और न्यूट्रॉन प्रोब* है
🌹राजस्थान में *सबसे प्रमुख मृदा एंटी सोल* है
🌹राजस्थान की मिट्टियों में सामान्यतः *नाइट्रोजन पोटेशियम फास्फोरस जिंक तत्व की कमी* रहती है
*🌹केओलिनाइट मिट्टी*में *जल संचयन क्षमता सबसे कम*होती है
*🌹हवा*द्वारा मृदा कणों का *सर्वाधिक स्थानांतरण एरोलियन मिट्टी* का होता है
🌹भूमि का *स्थाई लक्षण मृदा विन्यास*है
*🌹मृदा के रंग* का कारण *खनिज पदार्थ अथवा कार्बनिक पदार्थ* हैं
*🌹लेटराइट मिटटी*में *फेरिक और एलमुनियम के हाइड्रैटेड ऑक्साइड*अधिक मात्रा में और *मेग्जीन तथा टाइटेनियम ऑक्साइड*थोड़ी मात्रा में पाए जाते हैं
🌹राजस्थान में *लोयस मिट्टी सवाई माधोपुर करौली झुंझुनू जिले*में पाई जाती है
*🌹भारी मिट्टियों*का निर्माण *क्षारीय और अवसादी चट्टानों*के अपक्षय से हुआ है
🌹अधिकांश *पौधों की वृद्धि*के लिए मिट्टी में *ऑक्सीजन का सांद्रण 10% से अधिक* रहना चाहिए
राज्य में *अरावली पर्वतीय क्षेत्रों* में मृदा अपरदन का प्रमुख कारण *वनों का विनाश, अत्यधिक पशुचारण और अविवेकपूर्ण कृषि* है
जल वायु अथवा अन्य किसी भौतिक शक्ति* के कारण *मृदा कणों के अपने स्थान से हटने को मृदा अपरदन* कहते हैं
मिट्टी के *अपरदन और अपक्षरण की समस्या को रेंगती हुई मृत्यु* कहा गया है
मिट्टी के *अपरदन को मिट्टी का *क्षय रोग(TV)* कहा गया है
प्राकृतिक और मानव शक्ति*द्वारा *किसी प्रदेश के मिट्टी आवरण को नष्ट* करने की प्रक्रिया को *मृदा अपरदन* कहते हैं
इस प्रक्रिया में *प्रवाहित जल और हवा की मुख्य भूमिका*होती है
राजस्थान में *सर्वाधिक मृदा अपरदन वायु अपरदन से और उसके बाद जल अपरदन*से होता है
मृदा अपरदन की प्रक्रिया *दो चरणों*में होती है *1-मृदा का पृथक्कीकरण* *2-मृदा का परिवहन*
मृदा ,अपरदन*से ही बनती है और *अपरदन से ही नष्ट*होती है
मिट्टी के अपरदन के कारण राजस्थान में *मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया बढ़* रही है
जिस स्थान पर *वनस्पति की कमी*होती है वहां पर *मृदा अपरदन की प्रक्रिया* तेजी से होती है
एक ही स्थान पर पशुओं की लगातार चराई, पेड़ों की कटाई, जंगलों में लगने वाली आग, पहाड़ों का खनन, असंगत तरीके से की गई खेती और अन्य ऐसी गतिविधियों के कारण मृदा अपरदन को बढ़ावा* मिल रहा है
इसके *कुप्रभाव*से राज्य के कहीं भाग ग्रस्त हैं
इनमें से *जल द्वारा मिट्टी अपरदन (दक्षिणी पूर्वी भाग)चंबल के उत्खनात स्थलाकृति* वाले क्षेत्र में है
वायु अपरदन राज्य के उत्तर पश्चिमी राजस्थान* में होता है
पहाड़ी ढालों पर मृदा अपरदन*तेजी से होता है
मृदा अपरदन के प्रकार
*🔷मिट्टी का अपरदन* कई प्रकार से होता है
🔷कहीं कहीं पर *मिट्टी का ऊपरी अपक्षरण* होता है
🔷कहीं *गहरी नलिकाएं बना के गढ्ढे* के रूप में *मिट्टी का अपरदन*होता है
*🔷पहाड़ी ढालू भूमि पर मुसलाधार बारिश से चादरी अपरदन* होता है
🔷पश्चिमी भाग से आने वाली *पवने कच्छ का रन से लवणता* इस प्रदेश में लाकर *जमा कर*देती है इससे *मिट्टी का अपरदन* होता है
🔷मिट्टी का अपरदन सभी स्थानों पर *एक समान नहीं*होता है
🔷मिट्टी का अपरदन *कई बातों पर निर्भर* करता है जैसे➖ *मिट्टी का गुण, भूमि का ढाल ,वर्षा की मात्रा* आदि कारण *मृदा अपरदन*को प्रभावित करते हैं
🔷मुख्यत:मिट्टी का अपरदन *चार प्रकार* से होता है
*1⃣आवरण अपरदन🌻➖* 💧जब वर्षा के समय *निर्जन पहाड़ियों की मिट्टी वर्षा जल के साथ घूलकर बह*जाती है
💧जिससे भूमि की *ऊपरी परत के उर्वरा तत्व हट*कर चले जाते हैं
💧इस अपरदन को *भूमि का आवरण अपरदन* कहते हैं
💧इस प्रकार का कटाव *वनों के नाश और बदलती खेती*के परिणाम स्वरुप होता है
💧यह आवरण अपरदन *राजस्थान में सिरोही उदयपुर अलवर डूंगरपुर* आदि जिलों में अधिक होता है
*2⃣अवनालिका अपरदन🌻➖*
💧यह अपरदन *नदियों ,सहायक नदियों ,लघु सरिता और नाले के जल के बहाव*से होता है
💧जब *जल बहता* है तो इन की *धाराएं मिट्टी की ऊपरी आवरण को हटाने की बजाय कुछ गहराई तक काटकर गहरे गड्ढे या नालियां* बना देती हैं
💧इसे भूमि का *अवनालिका अपरदन* कहते हैं
💧यह अपरदन *सबसे अधिक हानिकारक* होता है
💧जब मिट्टी का अपरदन *2 मीटर से 200 मीटर*तक की *गहरी नलिकाओं*द्वारा होता है तो *संपूर्ण क्षेत्र कट फट*जाता है
💧इस मृदा अपरदन को *बिहड या उत्खनात स्थलाकृति*कहते हैं
*🍃उत्खनात स्थलाकृति*➖ ""कृषि के अयोग्य ऊंची नीची भूमि"* *विशेष जिला करौली* में और *सर्वाधिक क्षेत्र चंबल नदी के किनारे* मिलती है
*🍃बिहड*➖ *चंबल नदी के दोनों किनारों पर स्थित घने जंगल* को बीहड़ कहते हैं
*🍃कोटा से बाँरा* के मध्य के जंगलों को *कुँवारी बिहड (काली सिंध के आसपास के क्षेत्र)के नाम* से जाना जाता है
💧यह अपरदन *चंबल ,गंभीर, मोरेल,ढूंढ, बाढ़ गंगा*आदि नदियों के क्षेत्रों में होता है
💧यह राज्य के *कोटा सवाई माधोपुर धोलपुर करोली जिले*मैं होता है मिटटी का
💧राज्य में *सर्वाधिक अवनालिका अपरदन चंबल नदी*पर पाया जाता है
💧सर्वाधिक अवनालिका अपरदन *करौली (जिला विशेष)जिले*में होता है
*3⃣वायु अपरदन🌻➖*
💧इस अपरदन में *मरुभूमि में तेजी से बहती प्रचंड हवाओ*ं द्वारा *मिट्टी को उड़ाकर एक स्थान से दूसरे स्थान* तक ले जाया जाता है इसेे वायु द्वारा अपरदन या *वायु अपरदन* कहते हैं
💧इस अपरदन के लिए *शुष्क प्रदेशों या मरुभूमियों में वायु और बालू कण मिलकर अपरदन का सशक्त माध्यम*बनते हैं
💧राज्य के *पश्चिमी व उत्तरी भाग* इस प्रकार के अपरदन से प्रभावित हैं
*💧जोधपुर स्थित काजरी के विशेषज्ञों*का मानना है कि *थार मरुभूमि से वायु के साथ-साथ बालू का अवश्य विस्तार* होता जा रहा है
*💧बालू के विस्तार* का मुख्य कारण *अरावली क्षेत्र से वनो का तेजी से नष्ट* होना है
💧वायु अपरदन मुख्यतः राज्य के *बाड़मेर जोधपुर बीकानेर जैसलमेर सीकर चूरू जयपुर अजमेर*जिले में होता है
*4⃣धरातलीय अपरदन🌻➖*
💧पर्वत पदीय क्षेत्रों में *जल के तेज बहाव से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत का कटाव* होना *धरातलीय अपरदन*कहलाता है
💧इस अपरदन को *परतदार अपरदन*भी कहते हैं
////// *ममता शर्मा*//////
🌲🌷मृदा अपरदन के कारण🌷🌲*
🔷तेजी से बढ़ती *आबादी और राज्य की वन उत्पादों की बहुगुणित बढ़ती मांग के कारण लगातार वनों को काटा*जाना
🔷लगातार वनों के कटने से *भूमि के रक्षात्मक तत्व तेजी से घटने वाले वर्षा जल के साथ घूलकर* चले जाते हैं और वहां *विशाल उजाड़ उत्पन्न*हो जाता है
*🔷अर्ध शुष्क व चारागाह क्षेत्रों* में रहने वाले निवासी *असंख्य मात्रा में भेंड-बकरी*आदि पशुओं को पालते हैं
🔷जो भूमि की *वनस्पति को अंतिम बिंदु तक चरकर (अंधा-धुंध पशुचारण)उसे समाप्त*कर देते हैं
🔷यह *ढीले भाग जल अथवा मिट्टी के वेग के साथ बहकर भूमि को अनुपजाऊ* बना देते हैं
🔷राज्य के अनेक क्षेत्रों के *पहाड़ी ढालों पर (डूंगरपुर बांसवाड़ा उदयपुर)* आदिवासियों द्वारा *झूमिंग कृषि प्रणाली के द्वारा वनों को काटकर कृषि योग्य* बनाया जाता है
🔷कृषि के *अवैज्ञानिक ढंग अपनाकर कृषक स्वयं मिट्टी के क्षरण* को बढ़ाता है
🔷ढलान क्षेत्र में *समोच्च रेखाओं से समानांतर जुताई ना* करने से *दोषयुक्त फसल चक्र अपनाने*से या *आवरण फसलें गलत तरीके से बोने* मिट्टी का क्षरण होता है
🔷राजस्थान में *वर्षा ऋतु से पहले और बसंत ऋतु के काल*में आने वाली *तेज आंधी के द्वारा मिट्टी की ऊपरी सतह का बड़ी मात्रा में अपरदन* होता है
🔷इन आंधियों से *मिट्टी के उर्वरक तत्व उड़ कर* चले जाते हैं
🔷इन्हें रोकने हेतु *कटारबद्ध वृक्षारोपण* करना चाहिए
*🔱🌹मृदा अपरदन से होने वाली हानियां प्रभाव🌹🔱*
🔷विभिन्न प्रकार के भूमि अपरदन के सयुक्त प्रभावों का *राष्ट्रीय योजना समिति 1948* नें निम्न लिखित बिंदु बताएं हैं
*🔷भीषण और आकस्मिक बाढों*का प्रकोप *सूखे की लंबी अवधि*जिसका प्रभाव *नहरो*पर पड़ता है और *अकाल की संभावनाएं* बढ़ना
🌻जल के अतिरिक्त स्त्रोतों पर *प्रतिकूल प्रभाव* जिससें *नदी नालों की सतह* नीचे हो जाती है
🔷इस कारण *सिंचाई में कठिनाई* होती है
🔷नदियों की *तह में बालू का जम* जाना जिस कारण *नदी की धारा में परिवर्तन* होता रहता है
*🔷नहरो और बंदरगाह* का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है
*🔷उच्च कोटि की भूमि नष्ट*हो जाने से *कृषि का उत्पादन कम* हो जाता है *गड्ढों से होने वाले भूमि क्षरण* और *नदियों के किनारे के भूमि क्षरण से खेती योग्य भूमि में कमी* पड़ने लगती है
🔷मिट्टी का अपक्षरण होने से *मिट्टी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर मार्ग अवरुद्ध*कर देती है
🔷मिट्टी अपरदन के कारण *अंकुरित बीज नष्ट* हो जाते हैं जिससे *फसल उत्पादन* पर प्रभाव पड़ता है
🔷इसके अतिरिक्त मृदा अपरदन का प्रभाव *वनस्पति ,मनुष्य ,पशुओं, सामाजिक, आर्थिक क्रियाओं*पर भी पड़ता है
*🔱🌹मिट्टी अपरदन (मृदा संरक्षण) को रोकने के उपाय🌹🔱*
*पहाड़ी ढालों, बंजर और खाली पड़ी भूमि और नदियों के किनारे वृक्षारोपण करना* जिससे *मिट्टी का अपरदन* कम किया जाए
🔷भेड़ बकरियों की *अंधाधुंध चराई पर नियंत्रण* करना और उनके लिए *चारागाहों का विकास* करना
🔷उच्च ढालू भूमि में *समोच्च रेखीय पद्धति*से कृषि करना
*🔷मरुस्थलीय क्षेत्र*में *मिट्टी को उड़ने से रोकने*के लिए *वृक्षों की पट्टियां (शेल्ट बेल्ट)*लगाना
*🔷बहते हुए जल का वेग रोकने* के लिए खेतो में *मेड़बंदी* करना
*🔷ऊंची भूमि*पर *टेढी-मेढी* खेती और *मैदानों में पढ़ती खेती की पद्धति*अपनाना
🔷जिससे *जल प्रवाह रोक* कर *मिट्टी अपरदन* को रोका जा सके
🔷जो मिट्टी *जल द्वारा कट* गई है उसे रोकने के लिए *खेतों के ढाल की ओर आड़ी खाईया*बनाना
*🔷जोते हुए रक्षात्मक आवरण*को बनाए रखने के लिए *फसलों का हेर-फेर* करना
🔷भूमि को कुछ समय के लिए *पड़ती और खुली*रखना
🔷खेतों की मेढ़ और ढालू भूमि की ओर *समोच्च*बनाते समय उस और जल प्राप्ति के अनुसार *वृक्ष या झाड़ियों की कतार* लगाना
🔷बहते हुए *जल की मात्रा और भारीपन* में कमी करना
🍃इसके लिए *पहाड़ीयो के ढाल*पर अथवा *ऊंचे-नीचे क्षेत्र में बहते हुए जल का संग्रहण*करने के लिए *छोटे छोटे तालाब*बनवाना
🍃बाढ़ के समय *नदियों का अतिरिक्त जल को रोके* रखने के लिए *विशाल जलाशय*तैयार करना
🍃खेतों पर थोड़ी थोड़ी दूर पर ऐसे *मेड़/बांध*बनाना जो *एकत्र जल को अनेक भागों में बांटकर* जल का *वेग कम*कर सके
*🔱🌹जल द्वारा होने वाली मिट्टी के कारण को रोकने के उपाय🌹🔱*
🔷भूमि को *जोतने के बाद उसे वनस्पति से ढककर तेज बूंदों के आधात* से बचाना
🔷भूमि पर ही पड़ी रहने वाली *वनस्पति को स्वत:सडने* दिया जाना
🔷जिससे भूमि की *जल ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि*होकर मिट्टी का कटाव रोकने
🔷खेतों में *लगातार पौधे या दाले बोने* से मिट्टी का कटाव रोकना
🌹जिस मृदा का *ph मान*परिसर *6.5-7.5* होता है
💧यह मृदा *सामान्य मृदा* कहलाती है
💧इसमें *पादप पोषक सुलभता एवं सूक्ष्मजीव क्रियाशीलता*अधिक होती है
🌹जिस मिट्टी में *चूने की मात्रा कम* होती है उसे *अम्लीय मिट्टी* कहते हैं
💧अम्लीय मिट्टी का *पीएच मान 7से कम*होता है
💧अम्लीय मिट्टियों कोें *चूना पत्थर गंधक का अम्ल पायराइट्स आदि रसायनों* का उपयोग कर के *सुधारा*जा सकता है
🌹लवणीय मिट्टियों में *चुकंदर आलू कपास जौ गेंहू जैसी लवण रोधी फसल उगाना* लाभदायक रहता है
🌹राज्य का सर्वाधिक *19.41 प्रतिशत भूभाग वायु अपरदन*से ग्रस्त है
🌹राजस्व की दृष्टि से *सिंचित भूमि को चाही*और *असिंचित भूमि को बारानी* कहते हैं
🌹वर्ष *1952 में जोधपुर*में *मरुस्थल वृक्षारोपण एवं अनुसंधान केंद्र* खोला गया था
🌹हनुमानगढ़ जिले का *बडोपल गांव सेम की समस्या* के लिए जाना जाता है
🌹किन्ही कारणों से *रेगिस्तान का आगे बढ़ना रेगिस्तान का मार्च* कहलाता है
🌹मिट्टी की *क्षारीयता की समस्या के समाधान के लिए जिप्सम का प्रयोग* किया जाता है
*🌹लवणीयता की समस्या के समाधान हेतु रॉक फॉस्फेट*का उपयोग करते हैं
🌹राज्य में *सुबबूल नामक वृक्ष*लगाये जाने से है
🌹यह *क्षारीयता सहन* करता है , *नाइट्रोजन बढ़ाता* है
🌹जल से होने वाला *अपरदन रोकता* है
🌹पशुओं के लिए *चारा व लकड़ी उपलब्ध* करवाता है
🌹यह *सुबबूल शीघ्र* बढता है
*🌹तालाब में या बड़े गड्ड़े*में पानी और दलदल सूखने पर *जमी उपजाऊ मिट्टी की परत को ""पणो"" कहा*जाता है
🌹अनुपजाऊ या वर्षा में *बिना जोती गई पड़त भूमि को ""बाझँड""* ने कहा जाता है
*🌹चंबल क्षेत्र में सेम की समस्या के समाधान* के लिए शुरु की गई परियोजना *राजाड परियोजना* है
🌹सेम का मुख्य कारण *प्राकृतिक ह्वास* है
////// *ममता शर्मा*//////
🌹सेम की समस्या* के निवारण के लिए *Indo-dutch जल निकास परियोजना* चलाई गई
🌹यह परियोजना *नीदरलैंड की सहायता*से चलाई गई
*🌹नर्मदा नहर परियोजना में संपूर्ण सिंचाई फव्वारा पद्धति*से की जाएगी
🌹देश की कुल *व्यर्थ भूमि का 20% भाग राजस्थान* में है
*🌹क्षेत्रफल की दृष्टि*से राज्य में *सर्वाधिक व्यर्थ भूमि जैसलमेर से 37%* जिले में है
🌹उपलब्ध क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि से *राजसमंद जिला सर्वाधिक व्यर्थ पठार भूमि* क्षेत्र के अंतर्गत आता है
*🌹लवणीय परती भूमि* पर सबसे अधिक क्षेत्र *पाली जिले*में है
*🌹सर्वाधिक परती भूमि जोधपुर*जिले में है
*🌹सर्वाधिक बीहड़ भूमि सवाई माधोपुर व करौली जिले*में है
*🌹मूंगफली पीली मिट्टी* के क्षेत्रों में अधिक बोई जाती है
🌹राजस्थान में *सामान्य मिट्टी*परीक्षण प्रयोगशाला व *समस्याग्रस्त मिट्टी* परीक्षण प्रयोगशाला *जयपुर-जोधपुर* में
*🌹शीत ऋतु की रात्रियों*में तापमान *हिमांक बिंदु तक चले* जाने से *फसल नष्ट*हो जाती है l
🌹इस स्थिति को *पाला पड़ना* कहते हैं
*🌹ऊसर भूमि सुधारक* के रूप में *केल्सियम सल्फेट रसायन* का प्रयोग किया जाता है
*🌹समस्याग्रस्त मृदा* में फास्फोरस उर्वरक *पोषक तत्व स्थिर*हो जाता है *मिट्टी का घनत्व P.D.अथवा Dp में प्रदर्शित*किया जाता है
*🌹बैक्टिरिया सूक्ष्म जीवों* की संख्या मृदा में *अधिकतम* होती है
🌹अधिकांश मृदाओं का *घनत्व 1 से 1.8 g/cm* होता है
*🌹इलाइट* मृदा खनिज में *पोटाश की अधिकता* होती है
🌹मृदा में *जेव कार्बन और जैविक पदार्थ* का अनुपात *1.0:1.7*होता है
🌹मिट्टी से *जल को बांधने* की प्रक्रिया *अभिलाग* कहलाती है
🌹मिट्टी के *रंग* की माप *मन्सेल कलर चार्ट* द्वारा की जाती है
🌹मृदा के *मूल पदार्थों को रीगोलिथ*कहते हैं
🌹मृदा का *मुख्य घटक सिल्ट या दोमट* होता है
*🌹खेती की दृष्टि*से सर्वोत्तम मृदा संरचना *मृदु कोणीय संरचना*होती है
*🌹जल पटल* पर मृदा वायु की मात्रा *शुन्य* होती है
🌹मिट्टी में *ताप प्रवाह चालन* द्वारा होता है
*🌹खेती फसलों* के लिए उपयुक्त मृदा संरचना *कम्बी संरचना*है
*🌹सबसे अधिक सरन्ध्र मटियार मृदाओं* में होते हैं
🌹मृदा से संबंधित *कारकों को एडेफिक* कहते हैं
*🌹पीट मृदा* सामान्यतः *काली भारी और अम्लीय मृदा*के नाम से जानी जाती है
*🌹साधारण मृदा* का *स्थूल घनत्व 14 से 18gm/cc*होता है
🌹मिट्टी में *कार्बन डाई ऑक्साइड*की मात्रा *0.5% से कम* पाई जाती है
*🌹केंद्रीय भू संरक्षण बोर्ड* का कार्यालय *सीकर और जयपुर* जिले में स्थित है
*🌹पानी एवं मिट्टी के परीक्षण*के लिए राज्य में *जयपुर जोधपुर कोटा श्रीगंगानगर अलवर बांसवाड़ा जिलों*में प्रयोगशालाएं स्थापित की गई
*🌹कृषि विभाग*राजस्थान सरकार द्वारा *मिट्टीयों को उर्वरता* के आधार पर *14 भागों* में बांटा गया है
*🌹मृदा की नमी* को नापने का उपकरण *टेन्सियोमीटर और न्यूट्रॉन प्रोब* है
🌹राजस्थान में *सबसे प्रमुख मृदा एंटी सोल* है
🌹राजस्थान की मिट्टियों में सामान्यतः *नाइट्रोजन पोटेशियम फास्फोरस जिंक तत्व की कमी* रहती है
*🌹केओलिनाइट मिट्टी*में *जल संचयन क्षमता सबसे कम*होती है
*🌹हवा*द्वारा मृदा कणों का *सर्वाधिक स्थानांतरण एरोलियन मिट्टी* का होता है
🌹भूमि का *स्थाई लक्षण मृदा विन्यास*है
*🌹मृदा के रंग* का कारण *खनिज पदार्थ अथवा कार्बनिक पदार्थ* हैं
*🌹लेटराइट मिटटी*में *फेरिक और एलमुनियम के हाइड्रैटेड ऑक्साइड*अधिक मात्रा में और *मेग्जीन तथा टाइटेनियम ऑक्साइड*थोड़ी मात्रा में पाए जाते हैं
🌹राजस्थान में *लोयस मिट्टी सवाई माधोपुर करौली झुंझुनू जिले*में पाई जाती है
*🌹भारी मिट्टियों*का निर्माण *क्षारीय और अवसादी चट्टानों*के अपक्षय से हुआ है
🌹अधिकांश *पौधों की वृद्धि*के लिए मिट्टी में *ऑक्सीजन का सांद्रण 10% से अधिक* रहना चाहिए
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